भारत में ‘नीट’ को लागू हुए एक दशक से कुछ ही ज्यादा समय हुआ है और इसने ठहरे हुए पत्थर पर काई जमने जितनी बदनामी बटोर ली है। इसमें सबसे ताजा यह है कि नीट का संचालन कराने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को 2024 के लिए हुई मेडिकल की पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा को लेकर लगाये गये आरोपों की जांच के वास्ते एक चार-सदस्यीय समिति नियुक्त करनी पड़ी है। छह केंद्रों के लगभग 1500 छात्रों ने शिकायत की कि उन्हें परीक्षा पूरी करने के लिए पूरा समय नहीं दिया गया। ऐसा विभिन्न वजहों से हुआ: गलत प्रश्नपत्र का वितरण, फटी हुई ओएमआर शीट, तकनीकी गड़बड़ियां, और ओएमआर शीट के वितरण में देरी। अदालत ने प्रभावित छात्रों को ‘ग्रेस मार्क’ देने की इजाजत दी। नतीजे प्रकाशित होने के बाद, यह देखा गया कि कुछ छात्रों को 720 में 718 और 719 अंक मिले, जो मौजूदा मूल्यांकन पद्धति में असंभव है। यह भी आरोप था कि असामान्य रूप से ज्यादा संख्या में छात्रों ने पूरे अंक हासिल किये। एनटीए ने बाद में यह साफ किया कि अजीब लग रहे अंक अदालत के आदेशानुसार ‘ग्रेस मार्क’ दिये जाने का नतीजा है और चूंकि यह एक आसान प्रश्नपत्र था, इसलिए कई सारे छात्रों ने पूरे अंक प्राप्त किये। लेकिन बात इतनी ही नहीं थी। परीक्षा से पहले नीट यूजी का प्रश्नपत्र लीक होने की खबरें आयी थीं। एनटीए नीट यूजी की आधिकारिक उत्तर कुंजी में अशुद्धियां होने की बात कही गयी थी और यूजी प्रश्नपत्रों के विसंगतिपूर्ण मूल्यांकन के आरोप थे। राजनीतिक दलों ने इन आरोपों की गहन जांच किसी सक्षम तृतीय-पक्ष से कराने की मांग की है। और, छात्रों के समूहों ने भी दोबारा परीक्षा की मांग उठायी है। हर साल, खराब ढंग से प्रबंधित परीक्षा केंद्रों, और अभ्यर्थियों को क्या पहनने की इजाजत है, इसे लेकर फिजूल की कड़ाई के आरोप सामने आते हैं। कदाचार (चीटिंग) से जुड़े ऐसे घपले उजागर हुए हैं जहां अभ्यर्थियों ने परीक्षा देने के लिए अपनी जगह दूसरों को भेजा है।
नीट को हर साल होने वाली सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षाओं में से एक माना जाता है। लगभग 23 लाख छात्रों के इस परीक्षा में शामिल होने के मद्देनजर, इसमें कोई अचरज नहीं कि नीट का एक उतार-चढ़ाव भरा अतीत है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पैमाने पर होने वाली परीक्षा को पूरी तरह त्रुटिहीन बनाना असंभव है। लेकिन, साल-दर-साल, परीक्षा के दौरान घोर उल्लंघनों की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। एनटीए को राज्यों की मदद से यह सुनिश्चित करना होगा कि तकनीकी गड़बड़ियां और कदाचार से जुड़े घपले न हों - इसमें प्रश्नपत्रों का समय से पहले जारी होना, और वास्तविक अभ्यर्थी की जगह दूसरों का इस्तेमाल शामिल है। अगर यह अधिक सख्ती बरतने, और एक ज्यादा लंबी व ज्यादा सतर्कता भरी तैयारी से संभव है, तो ऐसा करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए। इसके अलावा, इन मांगों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि नीट के सभी दाखिले सिंगल विंडो काउंसलिंग के तहत आएं; और पीजी दाखिलों के लिए जीरो-पर्सेंटाइल मानदंड का पुनर्मूल्यांकन हो, साथ ही निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस का सख्त नियमन हो।