कमर कसने की जरूरत: कोविड-19 के बढ़ते मामले और भारत की तैयारियां

कोविड-19 के बढ़ते ताजा मामलों से निपटने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार रहना चाहि

Published - April 13, 2023 10:35 am IST

तैयारी, किसी प्रबंधन का सबसे बेहतर हिस्सा होती है। अगर साक्ष्य आधारित एक निश्चित किस्म की दूरदर्शिता संभव न हो और व्यवस्थागत तैयारियां लचर रहें, तो कार्योत्तर प्रबंधन का नतीजा ऊंची दूकान फीका पकवान में हो सकता है। देश में कोविड-19 के बढ़ते मामले एक बार फिर से कमर कसने की जरूरत की ओर इशारा कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 12 अप्रैल को 24 घंटे की अवधि में कुल 7,830 नए मामले सामने आए। मामलों की यह तादाद संभवत: पिछले 200 से अधिक दिनों में सबसे ज्यादा है। आज की तारीख में देश में 40,000 से अधिक सक्रिय मामले हैं। देश में कोविड के ताजा मामलों के तेजी से प्रसार के पीछे ओमिक्रॉन वायरस के वंश से जुड़े XBB.1.16 नाम के वेरिएंट को जिम्मेदार बताया जा रहा है। मौतें भी धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। मौत की खबरें उन राज्यों से आ रही हैं, जहां महीनों से कोई मौत नहीं हुई थी। थोड़ी राहत की बात यह हो सकती है कि XBB.1.16 के व्यवहार के बारे में किए गए शुरुआती अध्ययनों से संक्रमण के हल्के होने और अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं रहने का पता चलता है। यह दर्शाता है कि यह स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है। हालांकि, स्वास्थ्य प्रणालियों के सामने लचर तैयारियों का जोखिम मोल लेने का शायद ही कोई मौका है। खासकर उस स्थिति में, जब हम हाल ही में एक उग्र महामारी की वजह से भारी कीमत चुकाने के दर्दनाक अनुभव से गुजरे हैं।

सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी लंबी लड़ाई के दौरान थकान की भावना आना लाजमी है। विशेष रूप से, एक महामारी के दौरान जब स्वास्थ्य से जुड़े मानव संसाधनों और बुनियादी ढांचे की मांग निरंतर होती है। स्वाभाविक रूप से कंधे से बोझ उतारने के हर मौके की तलाश रहती है और कुछ समय तक संक्रमण का स्तर कम रहने से आत्मसंतोष और खुशी हो सकती है। लेकिन भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामले देश भर में स्वास्थ्य प्रणालियों को जागने और उन्हें चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हैं। हालांकि, मार्च 2023 और मार्च 2020 के बीच का अंतर यह है कि दुनिया अब कोविड को लेकर अनजान नहीं है। भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन मौसमी इन्फ्लूएंजा की तरह कोविड-19 का इलाज करने के लिए आगे आया है, लेकिन हमें अनुभवों ने सिखाया है कि कैसे तैयार रहना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो सप्ताह पहले कोविड-19 टास्कफोर्स की बैठक में राज्यों को ठीक ही सलाह दी थी कि वे उस रणनीति पर ध्यान दें जो पहले कारगर रही- ‘जांच-निगरानी-उपचार-टीकाकरण’ और कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना। उन्होंने प्रयोगशालाओं से जुड़ी निगरानी बढ़ाने, गंभीर घातक सांस की बीमारी के सभी मामलों की जांच करने और राष्ट्रव्यापी स्तर पर अस्पतालों में नियमित रूप से अभ्यास करने का आह्वान किया। कई राज्यों ने विभिन्न स्तरों पर मास्क लगाने की अनिवार्यता को लागू किया है और अभ्यास आयोजित किए हैं। लेकिन, पूर्व के अनुभवों से यह भी स्पष्ट है कि बहुत कुछ व्यक्तिगत स्तर पर अनुपालन पर निर्भर करता है। मसलन हाथ धोने संबंधी स्वच्छता, मास्क लगाना और विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों के मामले में जल्दी अस्पताल पहुंचना। जिस तरह सरकारें खुद को तैयार कर रही हैं व स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत कर रही हैं, वैसे ही लोगों को भी पर्याप्त सावधानी बरतने के लिए तत्पर होना चाहिए।

0 / 0
Sign in to unlock member-only benefits!
  • Access 10 free stories every month
  • Save stories to read later
  • Access to comment on every story
  • Sign-up/manage your newsletter subscriptions with a single click
  • Get notified by email for early access to discounts & offers on our products
Sign in

Comments

Comments have to be in English, and in full sentences. They cannot be abusive or personal. Please abide by our community guidelines for posting your comments.

We have migrated to a new commenting platform. If you are already a registered user of The Hindu and logged in, you may continue to engage with our articles. If you do not have an account please register and login to post comments. Users can access their older comments by logging into their accounts on Vuukle.