अमेरिकी सेना द्वारा चीन के एक जासूसी गुब्बारे को मार गिराया जाना, दुनिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों के संबंधों में भयानक अविश्वास को दर्शाता है। मोंटाना के ऊपर पिछले हफ्ते इस गुब्बारे का पता चलने के बाद, राजनयिक संकट पैदा हो गया। इसके बाद, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने 6 फरवरी से शुरू होने वाले चीन के बहुप्रतीक्षित दौरे को रद्द कर दिया। शीर्ष अमेरिकी कूटनीतिज्ञ की ओर से 2018 के बाद, यह पहली प्रस्तावित यात्रा थी। यह यात्रा, संबंधों में आ रही गिरावट को रोकने के लिए महीनों की कोशिश का यह नतीजा थी, जो नवंबर में जी-20 के बाली अधिवेशन में बाइडेन-शी की मुलाकात के बाद तय हुई थी। गुब्बारे पर छिड़े विवाद ने उन कोशिशों की हवा निकाल दी। बढ़ती खटास को रोकने और संबंधों में स्थिरता बहाल करने की प्रक्रिया थम गई है। बीजिंग का कहना है कि गुब्बारा ‘सिविलियन’ (मौसम विज्ञान से संबंधित) था जो रास्ता भटक गया था। चीन ने हड़बड़ी भरे अंदाज में इसे मार गिराने की आलोचना की। अमेरिका ने ब्लिंकेन की यात्रा की पूर्व-संध्या पर अपने हवाई क्षेत्र में जासूसी गुब्बारे की तैनाती को गंभीर उकसावे वाले एक कदम के तौर पर देखा। अमेरिका ने कहा कि यह एक ऐसा कदम था जिसे बीजिंग भी बर्दाश्त नहीं करता।
अमेरिकी अधिकारियों ने यह माना कि अमेरिका के आसमान में नजर आने वाला यह कोई पहला जासूसी गुब्बारा नहीं था, ट्रंप प्रशासन के दौरान भी एक ऐसी ही घटना घटी थी। वर्ष 2020 और 2021 में जापान और पिछले साल भारत के अंडमान द्वीप समूह में भी गुब्बारे देखे गए थे। तीनों सरकारों ने गुब्बारों को मार गिराने वाले कदम नहीं उठाए। इसकी वजह शायद यह थी कि आधुनिक उपग्रह-संचालित निगारनी तंत्र के इस दौर में गुब्बारा इतना महत्वपूर्ण नहीं लगा कि उसे नष्ट किया जाए। नई दिल्ली और टोक्यो को अब इससे अपने कदम का पुनर्मूल्यांकन करने का मौका मिल सकता है कि भविष्य में अगर ऐसी घुसपैठ होती है, तो वे उसे कैसे संभालें। खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के नए और उकसाने वाले टूल के रूप में सामने आए गुब्बारे का इस्तेमाल करने के फायदे और नुकसान के बारे में बीजिंग भी अपनी तरफ से विचार करेगा। ऐसा लगता है कि अगर यह गुब्बारा मोंटाना के ऊपर नहीं दिखता, तो हो सकता है कि बाइडेन सरकार इसे चुपचाप वहां से जाने देती। इससे पहले दिखे गुब्बारों को नहीं मार गिराने की वजह से बाइडेन प्रशासन को अमेरिका के भीतर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था। ब्लिंकेन की ओर से दौरा रद्द करने समेत इस बार की प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि अमेरिकी राजनीति में चीन कितना गर्म मुद्दा बन गया है। इस घटनाक्रम ने दो अहम देशों के बीच के रिश्ते का दायरा छोटा कर दिया है। सन् 2001 में चीन के हैनान द्वीप के ऊपर एक अमेरिकी जासूसी विमान और एक चीनी लड़ाकू जहाज के बीच टक्कर के बाद दोनों देशों ने फोन पर बातचीत करके तनाव को आगे बढ़ने से रोक लिया था। आपसी होड़, ताइवान पर तकरार और घरेलू स्तर पर एक-दूसरे को लेकर जारी तीखे विर्मशों के बीच किसी भी संकट का समाधान खोजना ज्यादा मुश्किल हो गया है।
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Published - February 07, 2023 11:52 am IST