विवेक बाकी है: मौद्रिक नीति को अवस्फीतिकारी बनाए रखने का सवाल

नीति निर्माताओं को महंगाई की रफ्तार को धीमी करने पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए

Published - February 10, 2024 09:37 am IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मानक (बेंचमार्क) ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने और ‘समायोजन को वापस लेने’ के अपने रुख पर कायम रहते हुए ‘मुद्रास्फीति को उत्तरोत्तर लक्ष्य के अनुरूप सुनिश्चित रखने’ के अपने मकसद पर अटल रहने का विवेकपूर्ण विकल्प चुना है। निर्णायक 5-1 के बहुमत के साथ, समिति मौद्रिक नीति को स्पष्ट रूप से अवस्फीतिकारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं को नियंत्रित रखा जा सके। खासकर ऐसे समय में, जब ‘बड़े और दोहराव वाले महंगाई के झटके अवस्फीति की रफ्तार को बाधित कर रहे हैं’। लगातार छठी बैठक के लिए रेपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने के औचित्य के सवाल पर, गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि घरेलू आर्थिक रफ्तार जहां मजबूत बनी हुई है, वहीं खाद्य पदार्थों की कीमतों में छाई अनिश्चितताएं हेडलाइन मुद्रास्फीति की राह में रोड़ा बन रही हैं। उन्होंने साफ किया कि विचार-विमर्श के केन्द्र में यह वास्तविक जोखिम था कि खाद्य कीमतों का दबाव ज्यादा सर्वव्यापी न हो जाए और व्यापक हेडलाइन मुद्रास्फीति को प्रभावित न करने लगे। एमपीसी के बहुमत को मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता देने पर एकजुट होने को खुदरा मुद्रास्फीति के हालिया रुझानों की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए। हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति, जो जुलाई के 7.4 फीसदी के 15 महीने के उच्चतम स्तर से कम होकर अक्टूबर में 4.87 फीसदी हो गई थी, वह दिसंबर में फिर से उछलकर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.69 फीसदी पर पहुंच गई और उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक के हिसाब से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़कर 9.53 फीसदी पर जा पहुंची, जोकि अक्टूबर महीने के 6.61 फीसदी से 292 आधार अंक ज्यादा है।

खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर छाई अनिश्चितता ने नीति निर्माताओं को परेशान करना शुरू कर दिया है। यह हाल ही में आरबीआई के बुलेटिन लेख में परिलक्षित होता है। इस लेख में स्पष्ट रूप से इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश की गई है, ‘क्या खाद्य कीमतें ही भारत की मुद्रास्फीति का ‘असली’ मूल हैं?’ यह कहते हुए कि इस दावे के समर्थन में पर्याप्त अनुभवजन्य साक्ष्य हैं कि ‘ऐसे मोड़ आते हैं जब खाद्य मुद्रास्फीति मूल मुद्रास्फीति जैसी लगती है’, अधिकारियों ने चेताया है कि उपभोग की टोकरी में भोजन की पर्याप्त हिस्सेदारी के मद्देनजर, बड़े और बार-बार के खाद्य मूल्य के झटकों के बाहर की ओर पसरने और मुद्रास्फीति से जुडी अपेक्षाओं को कमजोर करके मूल्य स्थिरता के लक्ष्य से भटका देने का अंदेशा है। एमपीसी ने जनवरी-मार्च की तिमाही में औसत खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को घटाकर 5.0 फीसदी कर दिया है, जोकि दिसंबर के पूर्वानुमान से 20 आधार अंक कम है। समिति का यह कदम दर्शाता है कि नीति निर्माताओं ने रबी की बुआई में सुधार के साथ-साथ सब्जी की कीमतों में मौसमी सुधार से थोड़ी राहत की सांस ली है। फिर भी, उपभोक्ता कार्य विभाग का दैनिक मूल्य निगरानी डैशबोर्ड यह दर्शाता है कि दो-तिहाई से अधिक प्रमुख खाद्य पदार्थों की औसत खुदरा कीमतें 8 फरवरी को साल-दर-साल आधार पर ज्यादा रहीं। नीति निर्माताओं को महंगाई को स्थायी रूप से धीमा करते हुए 4 फीसदी के लक्ष्य पर लाने के अपने संकल्प पर दृढ़ रहने या फिर उपभोग में कमी आने और इस प्रकार विकास की रफ्तार धीमी होने का जोखिम झेलने के लिए तैयार रहने की जरुरत है।

0 / 0
Sign in to unlock member-only benefits!
  • Access 10 free stories every month
  • Save stories to read later
  • Access to comment on every story
  • Sign-up/manage your newsletter subscriptions with a single click
  • Get notified by email for early access to discounts & offers on our products
Sign in

Comments

Comments have to be in English, and in full sentences. They cannot be abusive or personal. Please abide by our community guidelines for posting your comments.

We have migrated to a new commenting platform. If you are already a registered user of The Hindu and logged in, you may continue to engage with our articles. If you do not have an account please register and login to post comments. Users can access their older comments by logging into their accounts on Vuukle.