विज्ञान और चिकित्सा जगत की विभिन्न उपलब्धियों की बदौलत कोविड महामारी के इतिहास में समय – समय पर कई अहम पड़ाव आए हैं। प्रयोगशालाओं में धन, उद्योग और अनुसंधान को इस उम्मीद के साथ झोंका गया था कि उनके मर्तबान से लोगों का जीवन बचाने और इस वायरस के प्रसार को धीमा करने के उपाय निकलेंगे। यह सही है कि विभिन्न टीकों ने लोगों को जिंदगी का भरोसा दिया है, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने से बचाया है और इस बीमारी की गंभीरता को भी कम किया है, लेकिन यह सिर्फ नाक का टीका ही है जो इस वायरस के शरीर में प्रवेश करने वाली जगह पर ही इसका मुकाबला करके इसे आगे बढ़ने से रोकने का वादा करता है। इस मायने में, नाक के एक टीके को 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग लोगों के लिए प्राथमिक टीकाकरण के रूप में आपातकालीन उपयोग की इजाजत देने की घोषणा निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य कदम है। अगर नाक का टीका कारगर साबित होता है, तो यह शायद कोविड-19 से निपटने का अब तक का सबसे उन्नत औजार होगा। नाक या मुंह के जरिए दी जाने वाली एक दवा होने के कारण यह टीका दर्दनाक सुइयों से बेहतर विकल्प होगा। खासकर, ट्राईपैनोफोबिया के शिकार या सुई लेने से डरने वाले उन बच्चों या वयस्कों के लिए जिनके टीके लेने की राह में शायद यही दिक्कत आड़े आई है। सैद्धांतिक रूप से नाक का टीका भले ही मानव शरीर में प्रवेश के बिंदु पर इस वायरस को मेजबान कोशिकाओं के साथ जुड़ने से रोकना सुनिश्चित करता है, लेकिन कोविड-19 से ग्रसित इंसानों में इसके कारगर होने के अभी बहुत कम सबूत हैं। इन्फ्लूएंजा के एक नाक के टीके के कथित तौर पर कारगर होने की खबर तो है, लेकिन दुनिया में अन्य जगहों पर उपयोग के लिए मंजूर किए गए तीन अन्य नाक के टीकों के असर के बारे में बहुत कम डेटा उपलब्ध है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित नाक के टीके के लिए भारत बायोटेक द्वारा किए गए परीक्षणों में, “परीक्षण के दौरान दर्ज किए गए प्रतिक्रियात्मक घटनाओं और प्रतिकूल घटनाओं के आंकड़े कोविड-19 के अन्य टीकों के प्रकाशित आंकड़ों से तुलनात्मक रूप से बेहतर थे”।
कंपनी ने कथित तौर पर टीका नहीं लेने वाले लगभग 3,100 लोगों के साथ चरण -3 स्तर का एक परीक्षण किया। इन लोगों को नाक के टीके की दो खुराकें दी गईं । कंपनी ने लगभग 875 लोगों के साथ एक बूस्टर परीक्षण किया। इन लोगों को एक विजातीय बूस्टर के रूप में नाक के टीके की एकल खुराक दी गई। कंपनी ने यह भी वादा किया है कि वह जल्द ही इन परीक्षणों से संबंधित डेटा को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करेगी।
कोविड के मामलों में आई गिरावट ने भले ही दुनिया को सांस लेने की थोड़ी मोहलत दी है, लेकिन इस बीमारी से निपटने के प्रयासों को और आगे बढ़ाना होगा। लेकिन मरीजों की संख्या में यह गिरावट जब इस बीमारी के फैलने की गति में एक निश्चित किस्म का ठहराव ला रही है, तो परीक्षणों के नतीजों और उससे जुड़े डेटा को अब सार्वजनिक किया जाना चाहिए। भले ही, लोगों के बीच इन दवाओं या टीकों को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी जा रही हो। सरकार को भी अभी और भविष्य में पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए इस काम को अपने एजेंडे में शामिल करना चाहिए क्योंकि यह इस वायरस के सभी पहलुओं से जूझने में शामिल विभिन्न विभागों की निरंतर प्रतिबद्धता सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, उसके एजेंडे में टीकों को आम जनता तक पहुंचाना और प्राथमिक दो खुराकों से अछूते रहे लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाना और बूस्टर खुराक देना सबसे ऊपर होना चाहिए।
This editorial has been translated from English which can be read here.